दूर कहीं निकल पड़ा हूँ में,
तारों के बीच.
हर तारा कहता है मुझसे,
चमक चमक कर यह-
तू भी एक सितारा है,
ज़रा पहचान खुद को,
जगमगा दे अपनी रौशनी से,
सारे जहां को.
तू बरसात की एक बूँद है,
जो उतर गयी है ज़मीन पर,
अपनी नमी से इस जहां का निर्माण कर.
तू कलि है एक पौधे की,
जिसे खिलना है कभी न कभी,
अपने अदभुत रंगों की छवि फैला,
इस जहां को और रोशन बना.
तू एक नन्ही सी कश्ती है,
और यह जहां है एक विशाल सागर,
लहरों और तूफानों का सामना कर,
कश्ती साहिल पर तुझे ही लाना है.
दूर कहीं निकल पड़ा हूँ में,
तारों के बीच.
तारों के बीच.
हर तारा कहता है मुझसे,
चमक चमक कर यह-
तू भी एक सितारा है,
ज़रा पहचान खुद को,
जगमगा दे अपनी रौशनी से,
सारे जहां को.
तू बरसात की एक बूँद है,
जो उतर गयी है ज़मीन पर,
अपनी नमी से इस जहां का निर्माण कर.
तू कलि है एक पौधे की,
जिसे खिलना है कभी न कभी,
अपने अदभुत रंगों की छवि फैला,
इस जहां को और रोशन बना.
तू एक नन्ही सी कश्ती है,
और यह जहां है एक विशाल सागर,
लहरों और तूफानों का सामना कर,
कश्ती साहिल पर तुझे ही लाना है.
दूर कहीं निकल पड़ा हूँ में,
तारों के बीच.
- Monu Awalla
4 comments:
how premchand types moni.. but nice.. bohot uumda vichar dale hai.. aur bohot hi khoobsurati se darshaya hai.. :)
acha hai moni but the english 1ns r too good n funny
kabhi cloud 9 kabhi taare ...very inspirationalll poem,,, in my words .. tu apne pankh fela aur dorr gagan mei udta ja ..jaise ki ye badal taare sab kah rahe hai tu chalta ja chalta ja
thnx Geeta.. hehe.. yea definitely..:)
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